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PM Kisan Samman Nidhi Yojana Kisan Andolan. किसान आंदोलन

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना किसान आंदोलन


भारतीय मूल के किसानों के आंदोलन को 30 दिन पूरे हो चुके हैं या कह सकते हैं कि एक महीना पूरा हो चुका है। किसान आंदोलन करते हुए बहुत ही परेशान है और बहुत ही मजबूर भी हैं क्योंकि अगर वापस लौट जाते हैं तो उनकी मांग पूरी नहीं होगी और अगर बने रहते हैं तो यह सवाल भी है कि वह कब तक और आंदोलन करेंगे किसानों की मांगों को भारतीय सरकार क्यों नहीं सुन और समझ रही है ऐसा क्या गुनाह कर दिया है किसानों ने उनको दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। और सरकार को यह समझ में नहीं आ रहा है कि किसान तीनों कृषि कानूनों को क्यों नहीं मानना चाहते हैं। और किसान भी नहीं समझ पा रहा है कि इन तीनों कृषि कानूनों को क्यों लगाया गया है।

आखिर भारत का किसान इतना मजबूर क्यों


PM Kisan Samman Nidhi Yojana Kisan Andolan. किसान आंदोलन


तमाम राजनीतिक दल किसान आंदोलन के नाम पर किसानों के साथ खड़े होने का भरोसा दे रहे है लेकिन कैसे मान लिया जाए कि जो राजनीतिक दल किसानों के साथ खड़े होने का भरोसा दे रहे है क्या सत्ता में आने के बाद भी यह राजनीतिक दल किसानों के साथ ही खड़े होंगे या नहीं। अब तो किसानों का भरोसा सभी सरकारों सभी मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों से उठ चुका है क्योंकि किसान ही ऐसा व्यक्ति है जो भारत के प्रदेशों की सरकार तथा केंद्र सरकार को बनाने में एक अहम योगदान देता है। इसी के साथ साथ सबसे बड़ा योगदान किसान भारत के हर व्यक्ति को अनाज भी देता है फिर भी किसान ही मजबूर है जो किसान अपने खेत में अनाज को उगाता है उस अनाज को कम दाम में खरीदा जाता है और उसी अनाज से फैक्ट्रियों में अलग-अलग प्रकार के खाने का सामान बनाया जाता है और उन सामान की कीमत बहुत ही ज्यादा होती है अब आप समझ सकते हैं कि किसान कितना मजबूर हो चुका है।

देश की जीडीपी में भारतीय किसान का योगदान


भारत देश की अगर जीडीपी की बात की जाए तो किसान भी योगदान देने में पीछे नहीं हटता है आपको जानकर हैरानी होगी कि जितना रिवेन्यू इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जनरेट होती है उससे भी ज्यादा किसान अपने खेतों में अनाज को उगा कर रिवेन्यू जनरेट करता है अब आप समझ सकते हैं कि देश की जीडीपी में किसान अपना कितना अहम योगदान प्रदान करता है लेकिन किसानों को अनाज उगाने के लिए खाद और बीज बहुत ही महंगे दामों में मिलते हैं तथा कीटनाशक दवाइयां भी बहुत ही महंगे दामों में मिलती है लेकिन जब फसल तैयार हो जाती है और फसल कटकर अनाज निकलता है तब उस अनाज की कीमत बहुत ही कम क्यों रह जाती है किसान आज तक इस बात को समझ नहीं पाया है और जो लोग समझ भी गए हैं वह भी क्या करें उनके पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं है फिर से किसान जानते हुए भी फसल तैयार करता है महंगी खाद महंगे कीटनाशक महंगे बीज लगाकर उसके बाद भी उसकी फसल के अनाज का मूल्य फिर भी कम ही रहता है।

आखिर कब तक भारतीय किसान जूझता रहेगा


माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के खाते में  ₹2000-₹2000 डाल दिए हैं लेकिन ज़रा आप सोचिए ₹2000 की बीज आ गया उसके बाद उसमें खाद भी तो पड़ेगी उसके बाद कीटनाशक भी तो पड़ेगा उसके बाद खेतों में सिंचाई भी तो होगी यह सब कहां से आएगा क्योंकि उसने जो पिछली फसल बेची है उस फसल का तो किसान को मूल्य ही बहुत कम मिला है लेकिन किसान फिर भी कर्जा लेकर फसल को गाते हैं और भारत देश को अनाज प्रदान करते हैं लेकिन बहुत से व्यापारी इस अनाज को खरीद कर अपनी फैक्ट्री में से कुछ खाने के प्रोडक्ट बनाकर उनको दो गुने तीन गुने दाम में बेचते हैं और अगर अनाज बच भी जाता है तो दूसरे देशों से भी व्यापार कर लेते हैं और किसान उसी खेत में ही पूरा दिन और पूरी रात बिता देता है।

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